बीदर को संरक्षण की जरूरत- विश्व स्मारक कोषBidar is in need of immediate attention for preservation
मैसूर। विश्व स्मारकों की निगरानी रखने वाली संस्था विश्व स्मारक कोष ने बीदर को भारत के उन तीन ऎतिहासिक स्थलों में शामिल किया है जिन्हें संरक्षण की जरूरत है।
भारतीय विरासत शहर नेटवर्क के कार्यकारी निदेशक के.एस.रायकर ने एक बयान में कहा कि इसकी घोषणा न्यूयार्क में की गई। विश्व स्मारक कोष पिछले 50 सालों से 100 से भी ज्यादा देशों में ऎतिहासिक इमारतों और स्मारकों के संरक्षण का कार्य कर रहा है।
वर्ष 2014 के 41 देशों के 67 स्थलों को निगरानी की जरूरत को विश्व स्मारक निगरानी कोष ने अंकित किया है। उनमें तीन भारतीय स्थल सलीम चिश्ती की दरगाह, फतेहपुर सीकरी, आगरा, जूनामहल-राजस्थान के साथ बीदर-कर्नाटक को भी शामिल किया गया है। राष्ट्रकूट -753-983एडी. साम्राज्य के दौरान बीदर के चारों तरफ ऊंची-ऊंची दीवारे थी और तीन खाइयों का सुरक्षा चक्र था। यह शहर 1422 में दुबारा उस समय बसाया गया जब सुल्तान अहमद शाह ने बीदर को अपनी राजधानी बनाया। उन्होंने यहां पारसी वास्तुकला शैली में महल के अलावा अन्यनिर्माण कराया।
उन्होंने सिचाई के अलावा पानी निकालने की व्यवस्था का भी निर्माण करवाया। आज के समय यह ऎतिहासिक शहर केवल कुछ हिस्सों तक ही सीमित रह गया है। जिसकी वजह इसकी तरफ ध्यान न देना, बढता प्रदुषण और अवैद्य निर्माण है। अगर व्यवस्थित ढंग से इसका संरक्षण किया जाए तो भविष्य में यह स्थानीय लोगों का सहयोग करेगा। निगरानी का मुख्य उद्देश्य इसकी जानकारी को लोगों तक पहुंचाना व इस बहुमूल्य ऎतिहासिक इमारत को संरक्षण प्रदान कर पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देना है।
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